इस आर्टिकल में जानेंगे कि पंचायत या वार्ड में आरक्षण कैसे तय होता है? उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों में एक तिहाई सीटें (33%) महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। इसका मतलब है कि महिलाओं को सभी सीटों पर चुने जाने का मौका मिलेगा, जिसमें ओबीसी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति सीटें शामिल हैं।

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव 1995, 2000, 2005, 2010, 2015 और 2021 में हुए थे। वर्तमान में, राज्य में 826 विकास खंड (विकास खंड) और 58,194 ग्राम सभाएं हैं। ग्राम सभाओं में 731813 वार्ड, क्षेत्र पंचायतों में 75855 वार्ड और 75 जिला पंचायतों में 30051 वार्ड हैं।
आरक्षण कैसे तय होता है
2021 के पिछले चुनावों में, उन्होंने इन आरक्षित सीटों के बारे में नए नियम बनाए थे, इसलिए अब फिर से नए नियम बनाने का समय आ गया है। उसे रोटेशन आरक्षण कहते हैं। इसका मतलब है कि अगर आज कोई सीट किसी खास समूह के लिए आरक्षित है, तो अगले चुनाव में वह उसी समूह के लिए आरक्षित नहीं होगी।

उत्तर प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सीटों के आरक्षण की प्रक्रिया 2021 की तरह फिर नए सिरे से तय की जाएगी। त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए 1995-2021 की आरक्षण प्रणाली पर विचार किया जाएगा। उन सीटों को वरीयता दी जाएगी जो आज तक कभी आरक्षित नहीं हुई हैं।
पिछली वार यूपी ग्राम पंचायत चुनाव से पहले सरकार ने आरक्षण के लिए एक रोटेशनल फॉर्मूले की घोषणा की है, जिसके अनुसार अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित सीटें इस बार उन्हीं श्रेणियों के लिए आरक्षित नहीं होंगी। फॉर्मूले में कहा गया था कि श्रेणियों के लिए सीटें उनकी आबादी के आधार पर आरक्षित होंगी।

पिछली वार कुल ग्राम पंचायत सीटों में से 330 एसटी, 12,045 एससी और 15,712 ओबीसी के लिए आरक्षित थीं । यह आरक्षण उनकी आबादी के प्रतिशत के आधार पर हुआ था। जैसे ऐसे पंचायत भी हैं जिनमें कभी ओबीसी सीटें नहीं हुई थीं, उन्हें भी अब ओबीसी में बदल दिया जाएगा।
सरकार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में (उत्तर प्रदेश पंचायत राज संशोधन) नियम को लागू करने को मंजूरी देनी होगी। इससे बाद सीटों के आरक्षण की प्रक्रिया तय करने का रास्ता साफ हो जायेगा। इस बैठक में 2021 को आधार वर्ष मानते हुए आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सीटों के आरक्षण की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।